तेरी माया तूही जाने,हम कया जाने,दिवाने ! हो

(तर्ज : तूचि कर्ता आणि करविता... ) 

तेरी माया तूही जाने,हम कया जाने,दिवाने ! हो॥टेक।।
जिस किसने पहिचाना तुझको, वही जाने माया मंजिलको । 
अनासक्त वो रहे जगतमें, सुख-दुख दोनों समान माने ।।१।।
हम खाने-पीने के स्वादी, विषयोंके, रसनों के आदी।
काम-क्रोध की सदा उपाधी, दूर न होती गाये तराने ।।२।।
किससे साथ न मोहब्बत बाँधी, कया होता हे करी समाधी ?
अंदर तो स्वारथ की गंदी,मौज करे तीरथ के बहाने।।३।।
कोई अवलिया वलि मस्ताने, जिसने अपनी मौत पछाने ।
तुकड्यादास कहे वही जाने, हम उनके गाते गुण-गाने ।।४।।