तूने सेवाही न किया हे, सुन्दर दिखता है तो क्या है

(तर्ज : तेरे दया-धरम नहीं मनरमे...) 

तूने सेवाही न किया हे, सुन्दर दिखता है तो क्या है॥टेक ।।
घडी-घडी में कपडे बदले, बालमें डाले कंगवा ।
ऐसी शानको कोई न पूछे, सेवामें नहिं अगुआ ! ।।१।।
जानि जवानी खून भरी है, तर-तर चलता-फिरता ।
देश-धर्मके काम न आता, जैसा म्हैसा चरता ! ।।२।।
कभू न किसीसे प्रेमसे बोला, जब बोला तब गाली ।
सिना तानकर अकडके चलता,जैसा चोर-मवाली।।३॥
वही सुन्दर होता है प्यारे ! जो जनताको सुख दे ।
संकट-काल आये दौडेगा, बलि देनेको मुख दे ।।४॥
सुन्दर थे वह सुभाष, गाँधी, वीर जवाहर बाँके ।
फना हूये है, देशके खातिर, बजे नगारे जाँके ।।५।।
सुन्दर थी झाँसीकी रानी, लडी गोरोंके संगमे ।
दाग न लगने दिया शत्रुका, कुदी आगके जंगमें ।।६।।
तुम क्या करते हो, बतलाओ? खेले केरम्‌-हाँकी ।
तुकड्यादास कहे, अब आयी समय वीर बनने की ! ।।७।।