तुम्हे पूंछता हूँ मैं दिलका पता

तर्ज : कया मिल गया है...)

तुम्हे पूंछता हूँ मैं दिलका पता ।
मेरे पास था, पर हुआ लापता ।।
जरासी नजर होगयी थी बदल ।
वो चलाही गया, मैं रहा देखता ! ।।टेक।।
जहाँ उसका गम है, वहीं तक के दम है ।
अगर वो निकल जाय तो साराहि भ्रम है ।
मुझे उसकि मोहबत हे,दिलसे भि गम है ।
न जाये जरा भी निकल के कदम है ।।१॥।
मेरा दिलहि मुझको खुशी में रखेगा ।
अगर दिल न होगा तो रोना पडेगा।।
न जाये वो शैतान के संग खोगा ।
हमेशा भजन में हि तुकड्या रँगेगा ।।२।।