खंजेडी! खंजेडी!! मेरी रोज बजेगी खंजेडी।।टेक ।। सुनने वाले आओ न आओ ।

(तर्ज : सजना ! काहे भूल गये दिन प्यार के....)

खंजेडी! खंजेडी!! मेरी रोज बजेगी खंजेडी।।टेक ।।
सुनने वाले आओ न आओ ।
वाहवा हो या गालि सुनाओ।।
उसकी न जाती बात नडी ।। खंजेडी0  ।।१।।
रूखी हो या सूखी रोटी ।
अच्छी हो या फटी लँगोटी ।।
होय अंधारी या उजडी ।। खंजेडी0 ।।२।।
साथी हो कोरड बजवैया ।
तबला -पेटी झाँज धरैय्या ।।
गवैय्या से नहीं बात अडी।। खंजेडी0।।३।।
प्रेम पुकारो, सबके संग हूँ ।
नहिं तो अपने रंग में रंग हूँ ॥
अपने दिल की जोड कडी ।।खंजेडी0 ।।४।।
श्रध्दा-भक्ती का दिल गम है
मस्त फकिरी का भी दम है ।।
आतम के संग तार चढी ।। खंजेडी0।।५।।
तुकड्यादास कहे,जब बजती ।
पत्थर की भी छाती लजती।।
गुरु किरपा से रहे चढी ।। खंजेडी0।।६।।