सारी दुनिया का तूही करणधार है । बिना तेरे ना किसीको लगा पार हे
(तर्ज: मेरा छोटासा देखो यह संसार है...)
सारी दुनिया का तूही करणधार है ।
बिना तेरे ना किसीको लगा पार हे ।। टेक।।
तेरी बिजलीसे चलता हे सारा गगन ।
डोलती है हवा, फूलता हे जीवन ।
सारे प्राणोंका प्रेरक तू सरदार है ।।१।।
तेरी हहूकुमत से तारे अधर है खडे ।
तेरी सत्तासे सागर जरा ना बढे ।
तेरी शक्तिसे पर्वतको आधार है ।।२॥
फिर तो हमको फिकर कौनसे बातकी ?।
भूखे मरनेकी होया तो खैरात की ।
कहता तुकड्या यही मेरा निर्धार है ।।३।।