अपने प्रभूको मे दिलसे मिलूंगी, जी
(तर्ज: धीरैसे आजा रे...)
अपने प्रभूको मै दिलसे मिलूंगी, जी ! दिलसे मिलूंगी ।
अपने प्रभूको ।।टेक।।
चारो तरफ बन है प्यारा सुहाना ।
कहती है कोयल मिठासा गाना ।
किसका सुनूं गीत ? मैंही कहूँगी जी ! दिलसे मिलूंगी ।
अपने प्रभूको ।।१।।
कोई चाहे धन, मोती जीवन में, कीसको जरी भरी सारी ।
मुझको तो प्यारा है वह बन्सिवाला जी ! उसको जीया मे सब लूटा दूँगी ।
अपने प्रभूको ।।२।।
मेरी फकीरी मुझको है प्यारी ।
रंगमे मिलावे प्यारा बिहारी ।
तुकड्यादास कहे, आस फिर ना चहगी जी ! दिलसे मिलूंगी ।
अपने प्रभूको ।।३।।