आज मेरी बिनती सुनके, गुणवंत सुधी लिजिये
भजन ४०
(तर्ज : पिया मिलन के काज. .. )
आज मेरी बिनती सुनके, गुणवंत सुधी लिजिये।
बारबार कर जोरत स्वामी ! दान यही दिजिये।।टेक।।
फेर-फेरकर जन्म दिलावत, सुजनों में भिजिये।
मैल भरा सब घटके अंदर, सब निर्मल किजिये।।१।।
बेद श्रुति को बचन सुनातो, नेति कहे रिझिये।
अगम-निगम को पार न लागे, पाप सभी छिजिये।।२।।
कहता तुकड्यादास सुनों प्रभु, प्राण कहूँ तजिये।
पर, भवपाश का नाश करो अब, चरण -स्मरण दिजिये।।३।।