आपही आप समा सबमें, फिर लागत ज्योत किसे कहते है ।

भजन ५०
(तर्ज : नारायण जिनके हिरठमें...)
आपही आप समा सबमें, 
फिर लागत ज्योत किसे कहते है ।।टेक।।

जब आप पछान करे नर तो, 
तब पाप पुन सब जा बहते है।।१।।

देहिया देह-घटोमें भरा, 
अब कौन मरे किससे दहते है? ।।२।।

ग्यान बतावत लोकमें ग्यानी, 
ग्यानीभी दीन किते रहते है ।।३।।

नामको थाक नही श्रृति बोले, 
टालके भक्त कहाँ महते है ।।४।।

कहे तुकड्या सुनलो भई ग्यानी! 
ग्यानसे ग्यानी सभी सहते है ।।५।।