छोटी-छोटी कयारियोमे फूल है सुहावने, सुहावने लुभावने ।
(तर्ज :ऊंची उँची दुनियाकी...)
छोटी-छोटी कयारियोमे फूल है सुहावने, सुहावने लुभावने ।
मन भाया है, फूल तोडू प्रभूको चढावने,चढावने, चढावने ।। टेक।।
रंगरंगीले फूल भरे और दरख्त है ये हरेभरे ।
ठंडी हवा झरनोंकी हे, ध्यानको लगावने-
मन भाया है, फूल ।।१।।
सूरज छिपके, प्रकाश टपके, बनके परिंदे गाये जमके ।
गूंज उठे कान हमारे, ज्योतिको जगावने-
मन भाया हे, फूल ।।२।।
मंदरमें है सुरत सुंदर, खूशबू चलती दिनभर अंदर ।
कहे दास तुकड्या ! मेरा प्रेम ले निभावने-
मन भाया है फूल ।।३।।