ऐ लोकप्रिय गांधी! तू शान्ति का सितारा
(तर्ज : हरिनाम हे फुकाचे... )
ऐ लोकप्रिय गांधी! तू शान्ति का सितारा ।
शहरोपे थी निगा पर, था ग्रामिणों का प्यारा ।।टेक।।
माने न माने कोई,
तेरा वह राजकारण |
पर मुझका है पता तू गरिबों का था अधारा ।।1।।
भूखा मरे न कोई,
सबको मिलेगा धंधा ।
यह जानकरके खादी-चरखा तूने सुधारा ।।2।।
इन्सान हों बराबर,
कोउ नीच ना कहावे।
इसके लिए ही तुने हरिजन वचन उचारा ।।3।।
ग्रामों की उन्नती को,
उद्योग ग्राम का हो ।
अभिमान देशका हो, हरदम यहीं पुकारा ।।4।।
बुनियादी शिक्षणों पर,
था जोर जिन्दगी भर ।
तुकड्या कहे तेरा था, बस प्रार्थना सहारा ।।5।।