ऐ इन्सान ! हो बलवान, तू है शान भारत की।

(तर्ज: राजाराम राम राम, सीता...)

ऐ इन्सान ! हो बलवान, तू है शान भारत की।
बिना तेरी तैयारीके न इज्जत देशके  मतकी ।।टेक।।
चला जा फिर अखाडे में, लगा मिट्टी बदन भरमें ।
बोल सियाराया अलाह,न छोडे राह तू सत्‌की।।1।।
चढाले दंड-मोंढे को, मार बैठक बढा छाती।
कूद मैदान दंगल के, दिखा कुश्ती यह कसरतकी।।2॥
दिखा कपडे लडाईके, नैनपर तेज रक्तीका। 
सम्हलने जोश शक्तीका, लगाले साधना  व्रतकी ।।3॥
बाँध कंबर से कौपिनको, न अपना वीर्य खो किसमें ।
नियम कर एकपत्नी का,जीतकर डोर किस्मतकी।।4।।
मान सरकारकी हुकमत, कभी. ना भूल नेताको।
कहे तुकड्या झूठ ना कर, यदी हो चोट पर्वतकी ।।5।।