सब गाँवको बुलाये जा, साथमें बिंठाये जा!
(तर्ज: कदम-कदम बढ़ाये जा. - )
सब गाँवको बुलाये जा, साथमें बिंठाये जा!
यह चीज है इन्सानकी, इन्सानको बताये जा ।।टेक।।
प्यारे भाई ! आइये, ईश्वर के गुण गाईये |
इईश्वरकी इस जिंदगीपे, सबका रूखयाल लगाये जा ।।1।।
जातपात एक है, ये रुप जो अनेक है ।
हिलमिलकर आरामको, ये खेल है खिलाये जा ।। 2॥ लैन को लगाइये, ध्यानको जमाइये ।
अपना पांठ सुनाइये, तो पीछेसे सब गाये जा ।।3।।
जो देशकी सन्तान है, यह देशका निशान है।
यह देशका अभिमान, प्यारे मित्रों को बताये जा।।4।।
प्यारे ! तुम आजाद हो, आजादीमें आबाद हो।
सेवा करने आये हो, तो सेवाको उठाये जा ।।5।।
धनदौलत है राष्ट्रकी, राष्ट्रके इस कष्टकी।
राष्ट्रके उद्दिष्ट ही राहको लगाये जा ।।6।।
तुकड्यादास गाता है, अपनी राय सुनाता है ।
आओ हम सब एक है, तो अकही दिखाये जा ।।7।।