अपना जीवन साच बनाले, फिर ले देशभक्ती की तारी
(तर्ज: सुनो सुनो ऐ दुनिया... )
अपना जीवन साच बनाले,
फिर ले देशभक्ती की तारी ।।टेक ।।
जबतक लोभ स्वार्थ नहिं छूटे, खुदको कह न पुढारी।
खुद न फँसे औरों न फँसादे, समझ बात यह मेरी ।।1।।
अपना त्याग दिखा दुनियाको, ना कर दिलसे चोरी ।
साची सहनशीलता,प्रियता,रह नित पर-उपकारी।।2।।
ग्रामीण भारत देश हमारा, डाल ग्राममें फेरी।
कामकाज कर दे गरिबोंके, प्रिय कर जनता सारी।।3।।
घमण्ड ना कर कभी सत्ताका, जबानको रख प्यारी।
तुकड्यादास कहे निर्भय रहे, आये मौत बिमारी ।।4 ।।