अपनी लाज किसीसे बोलूँ ?
(तर्ज : राम भजन सबसे अति प्यारा...)
अपनी लाज किसीसे बोलूँ ?
जीवन - धन सुधरालूं ? ।। टेक ।।
कौन सुने दुनियाँ में कोई , सब अपनी रोते अपनाई ।
ख्याल किसीको है पर-हितका,तो दुख गठडी खोलूँ ॥1।।
कहना भी तो पाप ही होता, कहूँ तो खाऊँगा गोता।
सुननेवाला मतलब साधे, बिना बैल का कोल्हू ? ।।2।।
तुकड्यादास कहे संतनकी, तुमही समझावोगे इस मनको ।
प्रभुके पास अर्ज है मेरी, केसो मनको सम्हालूँ ? ।।३।।