दरसकी दो भीख जी ! निजदास खास भिखार है।
(तर्ज : मानले कहना हमारा...)
दरसकी दो भीख जी ! निजदास खास भिखार है।।टेक।।
घूमते बन-बन सभी, पाता नही दिलमें नबी।
मर रहा भूखा अभी, तुमबीन मौत -शिकार हैं ।।१।।
जन्म-जन्मोंके बडे जी !पाप होते है घडे जी।
नामसे रोते खडे जी ! हर्षकी दे धार है ।।२।।
आज दिल पछता रहा, तेरे गुणोंपर छारहा ।
क्यों न तुकडया पा रहा, चरणोंमे तेरे भार है ?।।३।।