होयगा घरका पता जब, यह बना घर खोयगा तू

(तेज : मानाले कहना हमारा...)
होयगा घरका पता जब, यह बना घर खोयगा तू ।।टेक।।
कामक्रोधनसे भरा है, पंचविषयनकों धरा है ।
पट जुदाईका परा है, मस्त  हो   यह   धोयगा   तू ।।१।।
देह-अभिमाना पड़ा है, लोभ पैसोंकों जड़ा हैं ।
दिल विषय हरदम खड़ा है, छोड़ इनको सोयगा तू ।।२।।
जोरू-लड़कोंमे भूला है, जग-मिताईमें झुला है |
मै - मेरा सबमें डुला है, भास यह नहि  भोयगा  तू ।।३।।
पंचतत्त्वोंसे निराला, पंचकोशोंसेभी वाला |
पंचपरदोंसे विशाला, कहत  तुकड्या   होयगा   तू ।।४।।