अब छोड विषयकी छाया

(तर्ज : सखि पनिया भरन केसे जाना... )
अब छोड विषयकी छाया । सब तुच्छ समझ यह माया ।।टेक।।
इस मायासे सुन भाई ! कई साधु सुधी बिगडाई ।।
मत भेज     नरकमें    काया । सब तुच्छ ।।१।।
कोई तरा न इस मायामें । सब फोल हुए कायामें ।।
वह तरे जो गुरु - गुण  गाया । सब तुच्छ ।।२।।
नारद - ब्रह्मा झुलवाये । उसी मायामें भूल पाये |
शंकर     उसमें     लपटाया । सब तुच्छ ।।३।।
कहे तुकड्या राम भजो रे ! मद-कामहि पाश तजो रे !
फिर आखिर काल न खाया । सब तुच्छ ।।४।।