सुन वासन - लोभी सुखारी
(तर्ज : सखि पनिया भरन कैसे जाना...)
सुन वासन - लोभी सुखारी । नर- नारीने दुनिया घेरी ।।टेक।।
इक घेरा नारदस्वामी । नित होत खड़ा हरिनामी ।।
धर लपट कपटकी मारी । नर-नारीने० ।।१।।
बहु ढोंग मचाया भाई ! सब साधु-ऋषी भुलवाई ।।
ब्रह्मा चाहत निज छोरी । नर-नारीने० ।।२।।
सब दबा विवेक दियो है। मन अपना राज कियो है।।
कर रखा बद्ध जीव भारी । नर-नारीने० ।।३।।
नहि छोड दिया अविनाशी । सब लोग झुकावत खासी ।।
तुकड्या कहे गुरु भव-पारी । नर-नारीने० ।।४।।