तनमें करो कोई खोज बे ! आनंदकंद है

(तर्ज : जमाले नबी की है काली ...)
तनमें करो कोई खोज बे ! आनंदकंद है ।
गुरुकी कृपाबिना में खुले ताल बंद है ।।टेक।।
जब छूट पड़े फाँस मायाके वो फंद है।
तब देख रहो मस्तीमें मन - गयंद    है ।।१।।
जगमग जले वो ज्योत फिर दीवान धुंद है।
सुन सात रत्न झूलते त्रयलोक मंद  है ।।२।।
तुकड्या कहे बहारके आकार गंध है।
फिर रक्त-शुभ्र-नीलपे स्वच्छंद बिंद है ।।३।।