कहना मत मानो साधूका, आखिर मारिया रे !
(तर्ज : वारी जाऊ रे सांवरिया.. . )
कहना मत मानो साधूका, आखिर मारिया रे ! ।।टेक।।
छूट पडेगा विषय विकारा । लोभ मोहका लगे न थारा ।
भूल पडे मानपान प्यारा, बचे न यारियाँ रे ! ।।१।।
टूर भगेगी सोना-चाँदी । आवत गुदडी-तुम्बडी कांधी ।
पाँच विषय पड जाये माँदी, धुंदी हारिया रे ! ।।२।।
नहि दिखनेका भाई-साला । लिपट रहेगी तुलसीमाला ।
स्वर्ग न भावे, छुवे न काला, भवमें तारिया रे ! ।।३।।
कहता तुकड्या भजके साई । सिरपे लातें कोई न खाई ।
सबही टूटे सोहबत मायी, खिलती क्यारियाँ रे ! ।।४।।