कवडी क्यों माँगे, मुँह फैले ?

(तर्ज : बाबा ! सबसे मीठा बोल...)

कवडी क्यों माँगे, मुँह फैले ? ।।टेक ।।
आसा रखकर ग्यान सुनावे, सुननेवालेको डर लावे।
असर नहीं होता श्रोतापर, गुरु रहे या चेले।
कवडी क्यों माँगे, मुँह फैले ? ।।1।।
जो सिलता संतोष समझना, बलके ज्यादा होता कहना ।
उससे तो आदर बढता है, फिर वह बात समझले।
कवडी क्यों माँगे, मुँह फेले ? ।।2।।
जिनके दिलमें लोभ बढा है,उनके दुधमें पानी पडा है।
बिगड़ गया पकवान इसीसे, चाहे कितना धोले।
कवडी क्यों माँगे, मुँह फैले? ।।3।।
ग्यान वही जो,दिल सुधरावे, श्रोताकी नीयत जम जावे ।
तुकड्यादास कहे श्रध्दासे, मन-मानस बनवाले
कवडी क्यों माँगे, मुँह फैले ?।।4।।