दिलदार श्याम प्यारे ! निजदास पास धरलो
(तर्ज : ईश्वरकों जान बंदे... )
दिलदार श्याम प्यारे ! निजदास पास धरलो ।
चरणोमें आ पडा हूँ, भवदुःख मेरे हरलो ।।टेक।।
तुमबीन किसने तारा, जगमें सुधी सुधारा ?
गुण-सार निर्विकारा! दीनको न झीख करलो ।।१।।
नहि मात-तात स्वामी ! कुछ -गोत-नात- प्रेमी ।
रमता हूँ तेरे नामी, क्यों देर ? अब कदर लो ।।२।।
बिगड़ी सभी तनू ये, गुरुजी ! सुधारों मोहे।
तुकड्याकी प्रार्थना ये, अब द्वैत पार करलो ।।३।।