तेरी लीला प्रभूजी ! मुझसे कही न जावें
(तर्ज : ईश्वरकों जान बंदे.... )
तेरी लीला प्रभूजी ! मुझसे कही न जावें ।।टेक।।
किश्तीमें आये साधो, रमते रहे समाधौ ।
तिम ध्यानको जमा दो, तब नैन देख पावे ।।१।।
जहाँ बेद-छंद हारा, नहि. शास्त्रका गुजारा ।
मुझको वहाँपे थारा, निजनैन बिन न पावे ।।२।।
वहि दे भक्त पूर्ण पाया, पार्था सुहावे छाया ।
घटमें सभी दिखाया, जब दिव्य तेज आव ।।३।।
तुकड्या कहे जी साँई ! तुमबिन न ग्यानदायी |
लीन दासको पटाई, दुहिको मिलाय खावे ।।४।।