अपने न जानता हूँ, जाना जरूर होगा
(तर्ज : ईश्वरको जान बंदे.... )
अपने न जानता हूँ, जाना जरूर होगा ।।टेक।।
भुगता रहा हूँ फेरा, चुकता नहीं यह घेरा ।
जब मौत मार जमका, पाना जरूर होगा ।।१।।
दुनियामें कुछ न पाया, लाया वही गमाया ।
करनी की याद आखिर आना जरूर होगा ।।२।।
कहाँसे फिरा रहा हूँ, खबरी नही किया हूँ ।
बैमान को तो जूते खाना जरूर होगा ।।३।।
कुछ संतका न माना, विषयोंमें था दिवाना ।
तुकड्या कहे प्रभूको गाना जरूर होगा ।।४।।