क्यों अजल फेरमें भटके ?
(तर्ज : गुजरान करो गरिबी में बाबा... )
क्यों अजल फेरमें भटके ? नहि आप लखा तब झटके है ।।टेक।।
अकबत पाना चाहते हो तो, कुफर छोडदो हटके ।
आशनाइ यह छोड दुजेकी, अटल रहो तुम डटके है ।।१।।
काबिल मारग धरा करो बे, छोड विषयके चटके ।
आप पछाना करलो भाई ! मस्त रहो फिर लटके है ।।२।।
खोजो खालिक पालनवाला, पिओ रामरस-घुटके ।
कायर बनना छोडो भाई ! काबिज मन ना छटके है ।।३।।
कहता तुकड्या इश्क बिना नहि जन्म-मरणसे कटके ।
आदमकी जो रखना तुमको, परो चरणमें पटके है ।।४।।