अब सुनो बात यह ग्यानी !

(तर्ज : गुजरान करो गरिबी में बाबा... )
अब सुनो बात यह ग्यानी ! तुहि तेरी रखले बानी जी ! ।।टेक।।
मातापिताका पता न था जब तू कहाँ था बे बंदा ?
आया किसके कारण जगमें ? खालिस है कि गंदा जी ।।१।।
सुखदुःखको जो कोई माने देखो उसको चेरा ।
जन्ममरण के फेरे जिसको, चुकता जब न अंधेरा जी ! ।।२।।
कौन तुझे यहाँ लानेवाला? नाम बता दे भाई !
नाम न होगा उसको तब तो कैसे  तुझको   लाई   जी ! ।।३।।
कहता तुकड्या जिस मारगसे तन - अभिमाना छुटा ।
पंचकोशके भीतर बैठा,    उसको   तबही   लूटा   जी ! ।।४।।