अब बाँके ! कर साधन आके
(तर्ज : हरिचरण बिना सुख नाही रे...)
अब बाँके ! कर साधन आके ।
साधन आके राम रिझाके ।।टेक।।
धन्य धन्य तुझे मानत प्यारे !
पुरब करम नरतन पाया रे ।।
लीन चरणपे हो जाके । अब० ।।१।।
मात - भरोसे क्या सोया है ?
मात मरी तब तू रोया है।।
यहीं चले पथ दुनियाके। अब ० ।।२।।
झूठ पसारा इस मायाका ।
देखतही तुझको दे झोका ।।
भूल परी इसमें आके । अब० ।।३।।
कहता तुकड्या गुरुका प्यारा ।
नाम भजों फिर भवजल तारा ।।
मस्त रहो निजको खाके। अब ० ।।४।।