जाऊँगा मैं भी प्रभू की शरण में, होनेको पावन उन्हीके चरण में -
(तर्ज : चाहंगा मैं तुझे, सांझ सबेरे.... )
जाऊँगा मैं भी प्रभू की शरण में, होनेको पावन उन्हीके चरण में -
कुछ भी ना और लूंगा, कुछ भी ना और लुंगा ।। टेक ।।
सुख है तेरे, दुख है तेरे, जो कुछ होगा सबही तेरे !
मिलजा एकबार, देखूँ करके प्यार ।
कुछ भी ना और लूंगा, कुछ भी ना और लूंगा ।। 1 ।।
ज्योती जगी है, दिलमें लगी है,बूझ न पायें,भूल न जाये।
यही बात, करूँ साथ, पाऊँ बन के सार |
कुछ भी ना और लूंगा, कुछ भी ना और लूंगा ।। 2 ।।
मैं तू दोनों एक ही मानो, तत्व पछानूँ, स्वाँसा बानूं।
झन्कार , बलिहार, बिना बजाके तार ।
कुछ भी ना और लूंगा, कुछ भी ना और लूंगा ।। 3 ॥
तुकड्या गाये, मन उछलाये, यही होना है, निश्चय पाये ।
करदे, भरदे, जीवन की धार।
कुछ भी ना और लूंगा, कुछ भी ना और लूंगा ।। 4 ॥