सभी भरना तनूको है, मूरख
(तर्ज : अगर है शौक मिलनेका...)
सभी भरना तनूको है, मूरख ! यह तोड जंजाला ।
कोई तेरा नहीं भाई ! जपो निजनामकी माला ।।टेक।।
लडे अर्जुन जब रणमें, लिहाजी होगया मनमें ।
बताया कृष्णने ख़ुणमें, कोई तेरा नहीं लाला ! ।।१।।
सभी यह मरण-जीना है, तनूके साथ भीना है ।
कहाँका गोत लीन्हा है, लढो रण हाथ ले भाला ।।२।।
तूहिमें तू मजा करले, ये दूजे भावको हरले ।
कहे तुकड्या सुधी धरले, अमर वह चाख प्याला है ।।३।।