कहो कैसे रहूं भवमें ?
(तर्ज : अगर है शौक मिलनेका...)
कहो कैसे रहूं भवमें ? बिकट अब काल आया है ।।टेक।।
बडा मुश्किल है रहना यही सब संतका कहना ।
किसीका जोर शिर सहना, अजब हरिकी ये माया है ।।१।।
कोई कहते दया मत कर कोई कहते दुजापन हर ।
कोई कहते भजो हरिहर, तुझे नरजन्म पाया है ।।२।।
द्वैतमायाही कट जाई, वही भव - पार पाया है ।।३।।
कहे तुकड्या तूहि सबमें, कहाँभी देखलो नभमें ।
सभी तुम हो, न हो कबमें ? ग्यान बिन काल खाया है ।।४।।