सुना था शास्त्रके मतको - तूहि तू है सभी घटमें
( तर्ज : अगर है शौक मिलनेका... )
सुना था शास्त्रके मतको - तूहि तू है सभी घटमें ।
भजन करना किसीका फिर ? चला जाकर अभी मठमें ।।टेक।।
खडा है तू बडा है तू, जड़ा है तू पडा तटमें ।
तेरेबिन कौन सूना है ? तूहि चर-अचर खटनटमें ।।१।।
तूहि काशी तूहि मथुरा, तूहि सबकी भरी रटमें ।
सभी तेरीही माया है, तूही गुणधारि तू हठमें ।।२।।
तूहि साधू तूहि भोंदू, तृहि वादू भरा भटमें ।
कहे तुकड्या तेरी छाया, मठोंके भीतरी पटमें ।।३।।