सुधरले देह - देवलको, उसीका मैल धो करके

( तर्ज : अगर है शौक मिलनेका... )
सुधरले देह - देवलको, उसीका मैल धो करके ।
बडा कचरा पडा भाई! निकालो आज भरभरके ।।टेक।।
नहीं झाड़ू लगा अंदर, उपरसे हे साफ मंदर ।
उसीमें घुस रहे बंदर, न    होता   रंग    देकरके ।।१।।
उपरके रंगको हरले, सभी कचरा सफा करले।
प्रभूमें भावना धरले, चला जा फेर भव   तरके ।।२।।
चला भटका कहाँ भाई? सभी देवल भरा साँई ।
जमींको मैलने खाई, ले झाड़ू नाम निज धरके ।।३।।
कहे तुकड्या तूहि देवल, उसीमें राम है केवल l
गुरुको पुछले सेवल, वही  दे    एकता   करके ।।४।।