सुधर बह तेरी जिंदगानी, सभी चोरोंने खाई है

( तर्ज : अगर है शौक मिलनेका... )
सुधर बह तेरी जिंदगानी, सभी चोरोंने खाई है ।
बड़े डाकू घुसे घरमें, तेरा जो धन वो पाई है ।।टेक।।
भला मुखत्यार वो खोया, पहारेकर पडा सोया ।
वो लंगड़ा देखकर रोया, करेगा क्या न धाई है ।।१।।
सभी घटमें फिरा बुढढा, नही पाया उसे दुडडा ।
उसीको चोरने मुडडा, वहाँ  मट्टी   दबाई   हैब ।।२।।
उठा अंधा करे कल्ला, न किसके ख्याल आ सल्ला |
किया चोरोंसे जा हल्ला, महल धन लूट लाई है ।।३।।
करो जल्दी अभी यह काम, मिले घरमें तुझे आराम ।
नही तो घर तेरा बेफाम, बखत अब रोते आयी है ।।४।।
करो तुम कोर्टमें अर्जी, फिरे सरकारकी मर्जी ।
उठाकर माल ला घरजी ! कहे तुकड्या सुखाई है ।।५।।