अगर तू मोक्ष चाहता है, भजन कर सत्य पानेका
( तर्ज : अगर है शौक मिलनेका... )
अगर तू मोक्ष चाहता है, भजन कर सत्य पानेका ।।टेक।।
पुण्य और पापको छोड़ो, ये दूजे ध्यानको तोडो ।
ये मनको श्रांतिसे मोडो, नहि फिर काल खानेका ।।१।।
सभीमें तू भरा भाई ! अनुभवसे बनो साँई ।
जभी साँईमें मिल जाई, नहीं तन - भान आनेका ।।२।।
सुधी घरकी भुली सारी, न काम न क्रोधसे यारी ।
कभी भासे न नरनारी, वही पथ मुक्त होनेका ।।३।।
कहे तुकड्या तूहि तेरा, न पाना फेर जम-घेरा ।
पछाने आत्मका डेरा, टुटे पथ फिरसे आनेका ।।४।।