कहाँ गाफिल पडा सोया ? यहाँ सब चोरकी नगरी

( तर्ज : अगर है शौक मिलनेका... )
कहाँ गाफिल पडा सोया ? यहाँ सब चोरकी नगरी ।।टेक।।
हत्यारोंबिन घुसे घरमें, नहीं सुतदारको शरमें ।
उठाकर धन लिया करमें, किया सब फोल तन-नगरी ।।१।।
हुशारीसे खडा होजा, खजाना सब तेरा खोजा ।
उठाया चोरने बोझा,  लूट    ले    जायेंगे   डगरी ।।२।।
मुसाफिर को फँसाते है, चातुरीकों कसाते है ।
घडीपल तो हँसाते है,   पिटाते    फेरके    दगरी ।।३।।
हजारो को लुटाया है, लुटाकर फिर कुटाया है ।
कहे तुकड्या छुटाया है, भजन-तलवारने  लगरी ।।४।।