अब जाग जरा, अब जाग जरा
( तर्ज : मेरी सुनले अरज, मैरी सुनले....)
अब जाग जरा, अब जाग जरा,
अब जाग जरा, सुन भाई रै ! ।।टेक।।
क्या सोवे ? अनमोल ये काया,
शिरपर मार न खाई रे ! ।।१।।
बखत गयी फिर नहि आनेकी,
पुरब जनमसे पाई रे ! ।।२।।
कहता तुकड्या सद्गुरुकों भज,
जन्ममरण छूट जाई रे ।।३।।