दिन जाय रहा, दिन जाय रहा ।
( तर्ज: मेरी सुनले अरज, मेरी सुनले.... )
दिन जाय रहा, दिन जाय रहा ।
दिन जाय रहा, फिर नहि आवे ।।टेक।।
बालकपन अब दूज जनममें,
तारूणपन दिलसे भोवे ।।१।।
क्यों फिरता भरमाय दिवाने !
शिरपर काल जुता लावे ।।२।।
अपनेकों अब आप पछानों,
ऋषिमुनि यह सुखही पावे ।।३।।
कहे तुकड्या मुद्दलमें तोटा,
जो लाया वहि गुम जावे ।।४।।