इस नशेमें फँसी है जमानिया ।

(तर्ज : नागरी जुल्फोपे दिल निसार है...)
इस नशेमें फँसी  है  जमानिया ।
संम्र होगा अजलमें  दिवानिया ! ।।टेक।।
रूह जाना न प्यारे ! न सानी कोई ।
अब तो तजदे ये जल्लख ये तुरबत दुई ।
मानो पैमानोंकोही   झूठा   किया ।।१।।
शोर जशनोंका दिखता नजरमें तेरी ।
करले तपसर खुदी तू तेरीमें मेरी ।
बरकरारोंसे     भूला   निशानिया ।।२।।
कर बरोशी ये बातों बख्शों  बक्तकी ।
कोई झूठा न कहता कहूँ सत्यको ।
गीत गाता है तुकड्या निर्बानिया ।।३।।