कर सत्संग सुधार तनूको ।
(तर्ज : तुम बिन कौन सहायक मेरो.....)
कर सत्संग सुधार तनूको ।
यही काम कर सार समझो धनूको ।।टेक।।
नरतनु जावे फिर ना मिलेंगी, कितना सुनाऊँ मनूको ? ।।१।।
जगमें निवासा तीन दिनका रे ! चल त्याग भव-जुगुनूको ।।२।।
सत्संगतिबिन नहि जान साधन, धर सत्केहि अणूको ।।३।।
पुरब जनमके कछु भाग तेरे, जनम मिला है मनूको ।।४।।
तुकड्या कहे बन नर ! नारायण, यह ही जनम -फल नीको ।।५।।