अब साक्षि होके रहो भाईयो !
(तर्ज : तुम बिन कौन सहायक मेरो....)
अब साक्षि होके रहो भाईयो !
त्वंपद तुहीमें तत्पद तुहीमें,
असिपद तुही साई हो ।।टेक।।
तूहीमें तीरथ तूहीमें मूरत,
सूरत तूही पाई हो ! ।।१।।
तूहीमें माया तूहीमें काया,
छाया तुही छाई हो ।।२।।
तूहीमें देवल सबमें तू केवल,
निजनाम अब गाई हो ।।३।।
तुकड्या कहे तूहि तुझमें सभी कोई,
दुनिया तेरी जाई हो ।।४।।