मँझधारमें नाव खचीट गयी, दे हाथ किनारे लावनको
(तर्ज: दिलमें ही नही जब शांति मिली...)
मँझधारमें नाव खचीट गयी, दे हाथ किनारे लावनको।
इस वक्त सहारा कोई नहीं, दे हाथ किनारे लावनको ।।टेक।।
विषयोंकी हवा खुब जोर करे,बडी कामकी लाट उछालत है ।
बैराग्यकी आंधी आँख भयी । दे हाथ किनारे0 ।।१।।
निज ग्यानका दीपक बूझ गया, सूझे न कहाँसे राह मिले ।
थी त्यागकी लकडी छूट गयी। दे हाथ किनारे0 ।।२।।
एक तूही सहारा है दिलमें,उससेही बचे हैआजतलक ।
तुकड्या कहे ऐ गुरुदेव मेरे । दे हाथ किनारे0 ।। ३।।