तूहि मेरा साथी स्वामी !

(तर्ज : जिंदगी सुधार बंदे !...)
तूहि मेरा साथी स्वामी ! और कौन आ रहा ? ।।टेक।।
भक्तको उठाय लाये, नाम तेरा जो जो पाये ।
नींदभरे कालने खाये, एक एक  जा   रहा ।।१।।
मायाका अजब तमासा , साधुसंतको दे त्रासा ।
कर रही वो जपका नासा, तू उसे हटा रहा ।।२।।
हजारोमें कोई निराला, जपे स्वयं घटकी माला ।
ऊपरसे लगाके ताला, वोही मौज पा   रहा ।।३।।
कहे तुकड्या तू हो दाता, यही वरद माँगे ताता l
जन्ममरण तोडो ताँता, फेरसे   सता   रहा ।।४।।