सुन अपनी धुनको पाना, गाना ताना तोडके
(तर्ज : ना छेड़ी भाररी रेडेंगी भरने...)
सुन अपनी धुनको पाना, गाना ताना तोडके ।।टेक।।
अब देख अजब रंग खुला, उस रंगमें बिरला झुला ।
जिसे कहते सबही दुल्हा, घुला - भूला जोडके ।।१।।
कर लेकर कट्यार-भाला, फिरती है घटमें बाला ।
जीते रत्नोंकी माला, काला ताला फोडके ।।२।।
है रहता उसमें ठुंठा, उस ठुंठेने सब लूटा ।
यह नाच बनाया झूठा, टूटा - फूटा मोडके ।।३।।
कहे तुकड्या गुरूका प्यारा, मुझे आडकुजीने तारा ।
अब जन्म-मरणका थारा, हारा सारा खोड़के ।।४।।