समयदान दे दो हमको, एकही कलाक चाहे,
(तर्ज: उल्फतका साज छोडो सभी... )
समयदान दे दो हमको, एकही कलाक चाहे,
आरजु हमारी सुनिये, देश को जगाना है ।।टेक।।
या तो किसीको सिखाओ,या तो सीख कोई जाओ।
गिरा हुआ धर्म जिसको फेरसे उठाना है ।। 1 ॥
एक एक भीख मंगा, घरमें पालकरके अपने ।
जिन्दगी बसाओ उसकी,उद्यमी बनाना है ।। 2 ॥
निकला है अम्बर चरखा,मजदुरोंने दिलसे सीखा।
पेट भरेगा उनका भी, जो लगेगा ठिकाना है ।।3 ॥
जिसे जिसे जो है आता, जीवनकी ऊँची बाता।
कला हो या औद्योगिकता, सभीको दिलाना है ।।4 ।।
एकही कलाक दे दो, रोज रोज सेवा भर दो।
कहे दास तुकड्या इसको, बुध्द को चढाना है।।5।।