ऊँची हवेली से क्या बोलता है ।

( तर्ज: आयी रात सुहानी...)


ऊँची हवेली से क्या बोलता है ।
जमाने को नहीं तोलता है ।।टेक।।
जमी-आसमाँ एक होने लगा है। 
गरीबी - अमीरीका नाता जगा है-
नाता जगा है।
अभितक न कुछ यार समझा है तूने -
धनमें   ही   तू    डोलता है ।।1॥
भूमि-मालिकों ने भूमिदान छोडा ।
अमिरोंने धन -मालसे मुँह मोडा-
अरे मूँह मोडा ।
श्रमदान मजदूर करते है अपना-
खिड़की न तू   खोलता  है ।।2 ॥
हर गाँव में हर्ष दिल ना समाता।
खुश हो के दिलसे हर जीव गाता-
हर जीव गाता |
तुकड्या कहे देख आ तो जरासा-
क्यों बात से   छोलता  है ।।3 ॥