सही जिंदगानी होली हमारी।

(तर्ज: हदयी जागा तूं अनुराग...)

सही  जिंदगानी होली  हमारी।
और दिवाली मौत  खडी।टेक ॥टेक।।
जिस दिन आवे पुकार उसकी।
समझेंगे हिम्मत है जश की ।।
सब दुनिया भावे खसखसकी ।
यही आशा दिलमें है अडी ।।और0।। 1।।
कौन सखीका लाल बुलावे? ।
भरी दिवाली  में   नहलावे  ।।
जो  मिलजुलके प्रेम लगावे ।
जिसकी उसकी दिखे चढी ।।और 0।।2।।
किसके घर दीपक जलते है।
हमरे घर दिलही मलते है।!
तुकड्या कहे खलही खलते है।
बाते   हमारी  यही   अडी    ।।और0।।3।।