दिलकी तसल मिटा दे, दिलके पछानेवाले !
(तर्ज : गजल ताल तीन)
दिलकी तसल मिटा दे, दिलके पछानेवाले ! ।
तुझमें मुझे मिला ले, निर्दंव्द ग्यानवाले ! ।।टेक।।
आशा न और कोई बिन प्रीतके तिहारी ।
थोड़ी नजर फिरा दे, घट-घट की जानवाले ! ।।१।।
तेरी रहम - मेहर से, हूँ धन्य आखरी में ।
जम - मार को टला दे, ऊँचे निशानवाले ! ।।२।।
सब हाथ है तिहारे, तूही गरज सभी की ।
एक दीन को सम्हाले, भारी खजानवाले ! ।।३।।
भूला फिरा रहा हूँ, संसार के नशेमें ।
इस काम को टला दे, निष्काम ग्यानवाले ! ।।४।।
क्या कह सकूं तुम्हें अब ? साक्षी खुदी तुम्ही हो ! ।
तुकड्याको पास करना, सारे जहाँनवाले ! ।।५।।