ईश्वर ! भजन तुम्हारा, सब लोग गा रहे है
(तर्ज : गजल ताल तीन)
ईश्वर ! भजन तुम्हारा, सब लोग गा रहे है ।
बिरलेको पा रहा तू, सबको मिला नहीं है ।।टेक।।
क्या चूक हो रही है? कुछभी पता न पाता ।
चाहे वे योग करते, तोभी मना रहे हैं ।।१।।
कोऊ जटा बढाकर, बनमें धुनी लगावे ।
किसको लगी समाधी, वह भी कहे कहाँ है ? ।।२।।
संसार छोड करके, बैरागको सिधारे ।
तोभी मिला नहीं तू ऐसे बता रहे है ।।३।।
कोई तो ज्ञान सीखे, बेदोंको पाठ करके ।
वह भी कहे हमारा किस्मत घुमा रहा है ।।४।।
सब काममें फँँसे है, बिरलाद है निकामा ।
तुकड्या कहे यहाँपे, सब भूल पा रहे है ।।५।।