ईश्वर ! हमारो भारत, आजाद कब रहेगा ?
(तर्ज : गजल ताल तीन)
ईश्वर ! हमारो भारत, आजाद कब रहेगा ?
जालिमसे छूटकरके, आनंदमें नहेगा ।।टेक।।
बाँधे गुलामीसे हम, कुछ भी स्वतंत्र नाही ।
कंटक यह सीरपरका, कब पापसे बहेगा ? ।।१।।
गौओंको भूख भारी, सज्जन भये भिखारी ।
दुर्जनने लूटी सारी, आबादी कब कहेगा ? ।।२।।
नहीं धर्म-मान राखा, सब भ्रष्ट कीन्ह लोका ।
ऐसे अधर्मियोंको, कब मौतमें दहेगा ? ।।३।।
करके रखा नगीना, जलकोभी मोल दीन्हा।
जनवरकी भूख छीना, यह काल कब बहेगा ? ।।४।।
मानो हमारी अरजी, थोरी फिराके मरजी ।
तुकड्याके सीर करजी, यह भार कब सहेगा ? ।।५।।