अजमा रहा खुशीसे, विषयोंका भान प्यारे !
(तर्ज : गजल ताल तीन )
अजमा रहा खुशीसे, विषयोंका भान प्यारे ! ।
अजमायगा तुझे फिर, विषयोंका भान प्यारे ! ।।टेक।।
चटका लिया संगोंमे, अब वह न दूर जावे ।
कुछ भी करो दवाई, वह रोग जान प्यारे ! ।।१।।
तुझपे सवार होके, गट में फँसायगा वह ।
फिरके कहाँ भगेगा? अब तोभि मान प्यारे ! ।।२।।
पल -पलमें याद उसकी, नजरोंमे तेरी आवे ।
पछतायगा अखेरी, मेरे सुजान प्यारे ! ।।३।।
तुकड्या कहे सुधारो, हर वक्त नाम लेकर ।
प्रभुके भजनमें लाओ, तर जाय जान प्यारे ! ।।४।।